उपभोक्ताओं द्वारा विद्युत ऊर्जा खपत करने के बदले उनसे विभिन्न विधियों द्वारा ली गई कीमत टैरिफ कहलाती है टैरिफ एक प्रकार की कीमत है जिस पर विद्युत ऊर्जा को बेचा जाता है |
टैरिफ को निर्धारित करने से पूर्व निम्न बातों को ध्यान में रखना आवश्यक होता है
टैरिफ को निर्धारित करने से पूर्व निम्न बातों को ध्यान में रखना आवश्यक होता है
- लोड के प्रकार (i) डोमेस्टिक लोड (ii)इंडस्ट्रियल लोड
- पावर फैक्टर
- जिस समय ऊर्जा की ज्यादा आवश्यकता हो सकता है
- उपभोक्ताओं की अधिकतम मांग
- एक निश्चित समय में कुल खर्च की गई ऊर्जा
टैरिफ का निर्धारण इस प्रकार होना चाहिए की विद्युत को उत्पन्न करने में तथा इसे सप्लाई करने में लगी कुल लागत कंवर हो सके (alert-warning)
टैरिफ को निम्न संबंधों से दर्शाया जाता है:-
C=Ax+By+D
C = किसी निश्चित समय में कुल लागत
x = किसी निश्चित समय में अधिकतम मांग ( KW, या KVA)
y = किसी निश्चित समय में कुल विद्युत खपत (kwh)
A= अधिकतम मांग के लिए प्रति किलो वाट या प्रति KVA में मूल्य
B = ऊर्जा खपत की कीमत , प्रति किलो वाट घंटा में
D = प्रत्येक विद्युत बिल की समय अवधि में निश्चित चार्ज
x = किसी निश्चित समय में अधिकतम मांग ( KW, या KVA)
y = किसी निश्चित समय में कुल विद्युत खपत (kwh)
A= अधिकतम मांग के लिए प्रति किलो वाट या प्रति KVA में मूल्य
B = ऊर्जा खपत की कीमत , प्रति किलो वाट घंटा में
D = प्रत्येक विद्युत बिल की समय अवधि में निश्चित चार्ज
उपभोक्ताओं के बिजली बिल को मुख्यतः तीन भागों में बांटा जा सकता है
- फिक्स चार्ज “D”
- सेमी फिक्स चार्ज Ax (semi fixed charge “Ax”)
- रनिंग चार्ज By (running charge "By")
इस प्रकार इसे Three part tariff भी करते हैं
विषय सूची(toc)
इलेक्ट्रिकल पावर सिस्टम में टैरिफ मुख्यतः निम्न प्रकार के होते हैं:-
Types of Tariff
- Simple tariff
- Flat demand tariff
- Straight line meter rate tariff
- Block meter rate tariff
- Two part tariff
- Power factor tariff
- Three part tariff
सिंपल टैरिफ(simple tariff )
जब उपभोक्ताओं से प्रति यूनिट पर फिक्स रेट से चार्ज लिया जाता है तब इस प्रकार के टैरिफ को सिंपल tariff करते हैं इस प्रकार के टैरिफ में प्रति यूनिट मूल्य निश्चित रहता है किस प्रकार के टैरिफ मुख्यत: ग्रामीण क्षेत्रों में लागू है
फ्लैट डिमांड टैरिफ (Flat demand tariff)
जब भिन्न-भिन्न उपभोक्ताओं से प्रति यूनिट पर अलग-अलग रेट से चार्ज लिया जाता है तब इसे फ्लैट डिमांड टैरिफ करते हैं इस प्रकार के टैरिफ निर्धारण के लिए उपभोक्ताओं को अलग-अलग श्रेणियों में बांट दिया जाता है प्रत्येक श्रेणी के उपभोक्ता से उनकी डिमांड के अनुसार चार्ज लिया जाता है
इस tariff को C=Ax से दर्शाते हैं
flat डिमांड टैरिफ में बिजली का बिल उपभोक्ताओं के मैक्सिमम डिमांड पर निर्भर करता है इस प्रकार के टैरिफ स्ट्रीट लाइट (गली की लाइट), आवासीय कॉलोनी ट्यूबेल उपभोक्ताओं के लिए निर्धारित है
इस tariff को C=Ax से दर्शाते हैं
flat डिमांड टैरिफ में बिजली का बिल उपभोक्ताओं के मैक्सिमम डिमांड पर निर्भर करता है इस प्रकार के टैरिफ स्ट्रीट लाइट (गली की लाइट), आवासीय कॉलोनी ट्यूबेल उपभोक्ताओं के लिए निर्धारित है
Straight-line meter rate tariff :-
स्ट्रीट लाइन मीटर रेट टैरिफ को C= By से प्रदर्शित करते हैं इस tariff में बिजली का बिल कुल उर्जा की खपत पर निर्भर करता है इस tariff में अलग-अलग उपभोक्ताओं से अलग-अलग कीमत पर चार्ज लिया जाता है इस tariff में हल्के लोड उपभोक्ताओं की कुल ऊर्जा खपत तथा भारी लोड उपभोक्ताओं के कुल ऊर्जा खपत का मूल्य अलग अलग होता है अतः इस tariff में lite load तथा भारी load के लिए अलग-अलग ऊर्जा मीटर लगाया जाता है
Block meter rate tariff (ब्लॉक मीटर रेट टैरिफ) :-
इस प्रकार के टैरिफ में उर्जा खपत को मुख्यतः तीन ब्लॉक में बांटा जाता है पहले ब्लॉक के लिए प्रति यूनिट मूल्य निश्चित रहता है पहले ब्लाक के लिए ऊर्जा खपत का मूल्य उच्च तथा बाद में प्रत्येक ब्लॉक से मूल्य कम होता जाता है
Two Part Tariff किसे कहते है ? :-
two part tariff में उपभोक्ताओं के कुल बिजली मूल्य को दो भागों में बांटा जाता है पहले भाग में मूल्य फिक्स होता है जो मुख्यतः उपभोक्ताओं के maximum demand पर निर्भर करता है दूसरे भाग में मूल्य ऊर्जा खपत पर निर्भर करता है| two part tariff को निम्न प्रकार से दर्शाया जाता है
C=A(kw)+B(kwh)
जहा , A= मैक्सिमम डिमांड के अंतर्गत प्रति किलो वाट चार्ज
B= प्रति किलो वाट घंटा चार्ज, कुल ऊर्जा खपत पर|
B= प्रति किलो वाट घंटा चार्ज, कुल ऊर्जा खपत पर|
Two part tariff इंडस्ट्रीयल उपभोक्ताओं के लिए निर्धारित होती है
पावर फैक्टर टैरिफ क्या है (power factor tariff)
इस प्रकार के टैरिफ में विद्युत बिल उपभोक्ताओं के लोड की प्रकृति पर निर्भर करता है इंडक्टिव लोड के लिए पावर फैक्टर का मान कम होता है power factor tariff मुख्य दो प्रकार के होते हैं
(अ) KVA max. Demand tariff :-
Total charge =A(KVA)+B (kwh)
इस प्रकार के tariff को two part tariff भी कहते हैं इस tariff उपभोक्ताओं को अपने लोड के पावर फैक्टर को बढ़ाने के लिए बाध्य किया जाता है जिससे यदि पावर फैक्टर का मान अधिक होगा तब उपभोक्ताओं की max. Demand (KVA में ) घट जाएगी जिससे कुल उर्जा खपत का मूल्य भी घट जाएगा
(ब) kwh & KVAR. tariff :-
Total charge =A(kwh) + B (KVAR)
इस प्रकार के tariff में रिएक्टिव पॉवर के बढ़ने से पॉवर factor का मान कम हो जाता है जिससे विद्युत यन्त्र परिपथ से ज्यादा से ज्यादा विद्युत धारा को ग्रहण करते है जिससे परिपथ में धारा, वोल्टेज से लीड कर जाती है तथा परिपथ में वोल्टेज का ड्राप हो जाता है
Three part tariff :-
Tree part tariff को C=Ax+By+D से दर्शाते हैं इस प्रकार के टैरिफ में कुल मूल्य उपभोक्ता के मैक्सिमम डिमांड(kw,) किसी निश्चित समय अवधि में कुल ऊर्जा खपत(kwh) तथा फिक्स रेट (D) पर निर्भर करता है
इस प्रकार के tariff बड़ी कंपनियों के लिए निर्धारित होते हैं
इस प्रकार के tariff बड़ी कंपनियों के लिए निर्धारित होते हैं
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Ji हां दोस्तों , आपने अपना किमती वक्त इस पोस्ट को पढ़ने में बिताया इसके लिए आपको धन्यवाद ! आज आपने electric tariff क्या होता है और यह किनते प्रकार का होता है व tariff का निर्धारण कैसे होता है, के बारे में जाना | हमें उम्मीद है कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा अगर पसंद आया है तो इसे आप अपने सोशल मिडिया प्लेटफ़ॉर्म पर जरुर शेयर करे